जिद कुछ कर दिखाने की
जिद कुछ कर दिखाने की
Sunday, February 13, 2011
ये मेरा प्यार है
प्रेमिका से झगड़ा करना आसान नहीं है
अपनी प्रेमिका से रूठकर जैसे व्यक्ति अपने आप
से रूठ जाता है, अपने जीवन से रूठ जाता है
प्रेमिका से रूठा हुआ प्रेमी तो अभिशप्त होता है
उसके लिए जीवन के हर सुख पर शाप कुंडली
मारकर बैठ जाता है। उसका कोई विकल्प नहीं है
चुपचाप प्रेमिका को मनाओ !
(नरेन्द्र कोहली के उपन्यास प्रीति कथा से)
प्रेमिका, प्रेम, और उनके बीच का रूठना, मनाना
प्यार की गहराई, एक दूजे के बिना जीवन के सुख
पर शाप लग जाना, प्रेमिका नहीं मानी तो जीवन
का कोई मोल नहीं। ये सच्चाई (थी)जीवन की, बीस
साल पहले तक। तकनीक की छलांग और वक्त की रफ्तार
में प्यार का स्पर्श, समर्पण, नजरें, नजाकत, इंतजार, इकरार, खामोशी,
अदाएं मिलने की खुशी बिछुडऩे का गम सब धीरे-धीरे कल की बात
हो गया है। अब जमाना फटाफट का है। क्रिकेट के ट्वंटी-20 की तरह।
जिसमें ग्लैमर है, चकाचौंध है, दिखावा है, चीयर गल्र्स हैं। पर फिर
भी वह क्रिकेट नहीं है। है सिर्फ क्रिकेट जैसा। क्रिकेट तो टेस्ट मैच ही
है। प्यार भी अब उसी राह पर है। दिखने को बहुत कुछ। जित देखूं,
तित प्रेमी। सच है शहर में जिधर नजर घूमाएंगे। आपको प्रेमी जोड़
मिल जाएंगें। पर उनमें से ज्यादातर के बीच प्यार नहीं है। वो सिर्फ
प्यार जैसा है।
चार दिन बाद वेलेंटाईन डे है। प्यार का दिन। व्यापार वाले भी तैयार
हैं। एक प्रेमी/पे्रमिका जितने ज्यादा प्रपोज करे उतना ज्यादा लाभ। गिफ्ट शॉप,
शॉपिंग मॉल से लेकर छोटी-मोटी दुकाने तक सज चुकी है। प्यार किया नहीं
जाता हो जाता है की गीत को भूल जाइए। अब प्यार को बाकायदा आमंत्रित
किया जाता है। वो होता नहीं करवाया जाता है। प्रेम पत्रिका (वेलेंटाइन ग्रीटिंग कार्ड)
छपाई जाती है, बांटी जाती है। एक से एक खुबसूरत और महंगे। किसी में म्यूजिक
है, तो किसी में फ ूल। इन पत्रिकाओं के शब्द, रंग, रूप कुछ भी प्रेम करने वाला
का नही। सब रेडीमेड। बहुत सारे प्रेम पंछियों को तो इनके भीतर लिखें शब्दों के
अर्थ भी पता नहीं होते। वे अंग्रेजी में जो होते हैं। लाल, पीला रंग साईज देखा
और खरीद लिया। दे आए जिस पर दिल आया। हो सकता है उसे भी पढ़कर कुछ
समझ न आए। पर वो ये समझता है ये किसलिए दिया। इसे ही कहते हैं प्यार में
भाषा की कोई जरूरत नहीं। ये है आजकल का रेडीमेड प्रेम निवेदन। इस आधुनिक प्यार में
न खुशबू है न दिल। वो इजहार के पहले की शरम है न इकरार की खुशी। कार्ड पकड़ाया और
तत्काल मांग लिया जवाब। इस हाथ दे उस हाथ ले। पहले घर से निकलना मंदिर जाने के बहाने
फिर चुपचाप, नजरों के इशारे से फूल किसी दीवार पर रखकर वो चली जाती थी। सबसे नजरें
चुराकर उसे उठाना। जवाब के मौके तलाशते महीनों गुजर जाते थे। पर वो इजहार और इकरार
के बीच का वक्त जिस्म में एक खुशी भरी तडप देता है। सामने आते ही धड़कनों का बढ़ जाना।
नजरों के इशारों को पढऩे की बेताबी।
पहले किसी शादी, त्योहार, मेले पर उससे नजरें चार होती थी। ऐसे आयोजनों पर
जाने का बड़ा इंतजार होता था वहां वो मिलेगी। अब डिस्को है, मॉल है। प्यार की बची-खुची
संवेदना को मोबाइल की तरंगों ने धो ड़ाला। दिनभर में न जाने कितने मैसेज इधर-उधर
फारवर्ड होते रहते हैं। पता ही नहीं चलता किसने किसके लिए लिखा था। मोबाईल संदेश से कई गुना
ज्यादा मजा देते हैं नजरों और ईशारों के संदेश। अब मिलन के नाम पर ई-मिलन, ई-चैटिंग, ई-डेटिंग
और न जाने कितने अ, आ, ई, ऊ हो गए है। लैपटॉप खोला धड़धड़ाते उंगलियां चलाई, दिल में कोई
इच्छा नहीं मिलने की, चेहरे पर गुस्सा, बाहों में कोई और फिर भी लिख दिया- डियर मिस यू, तुम्हारे
बिना मन नहीं लगता, मैं बिल्कुल अकेला, तन्हा हूं। दिनभर अपने मेल चेक करता रहता हूं। तुम्हारा
मेल कब आएगा। अब मैं सोने जा रहा हूं गुड नाईट, टेक केअर। मेल सेंट किया फिर मोबाइल से मैसेज
किया आई हेव सेंट यू ए मेल, लव यू, मिस यू। इस झूठे मेल-मिलाप के बाद चल पड़े बगल में बैठी
लड़की के साथ फिल्म देखने-आई हेट लव स्टोरीज। पहले प्यार में नींद उड़ जाया करती थी, अब खुद
तो जागते हैं पर मोबाइल स्विच ऑफ हो जाता है। मैसेज के साथ- मैं थक गया हूं, गुड नाईट। न वादे,
न कसमें, न सात जन्मों का रिश्ता। सुबह चैटिंग, दोपहर को मीटिंग और शाम को गुडबाय।
कई बार तो ऑनलाईनचैटिंग से ही प्यार पनपता है और ऑन लाईन ही ऑफ हो जाता है। सिर्फ एक शब्द
के साथ-ब्रेकअप।
अब आते हैं पहले प्यार पर। एक जमाना था जब आपने पहले प्यार की अनंत कथाएं सुनी होगी।
पूरी जिंदगी पहले प्यार को न पा सक ने का मलाल रहता था। अब पहले, दूसरे, तीसरे का कोई गम नहीं।
याद करिए, प्रेम संदेश के वो दरख्त वो मंदिर। मंदिर की दीवारों पर भोलेपन से प्यार पाने की तडप।
इन दीवारों लिखी इबारत-मेरी उनसे शादी करा दो, मुझे उससे मिला दो। दरख्तों पर बने दिल जिनमें
लिखे नाम। अब न वो प्रेम के छायादार दरख्त हैं, न आस्था और विश्वास के मंदिर। इन दीवारों और दरख्तों
के साथ ही प्रेम भी धुंधला पड़ता जा रहा है। मोबाइल पर आई लव यू का इजहार भी छोटा हो गया
है सिर्फ आईएलयू लिख कर भेज देते हैं। ये है प्रेम का शार्टकर्ट जो सिर्फ मैसेज ही नहीं हमारे जीवन
में भी उतर आया है। अब दिल की दीवार पर कुछ नहीं लिखा होता है। जो भी लिखा पढ़ा जा रहा है
वो सब फेसबुक की वॉल पर है। चेहरे पढऩे से हम दूर हो गये हैं सिर्फ फेसबुक पढ़ रहे हैं। फेसबुक
ही हमारे प्रेम के बदलते चेहरे का गवाह है। हम आंखों की नमी दिल की तपिश सेहमारा कोई मतलब नहीं।
कोई हमारे साथी पर टिप्पणी करे हमें फर्क नहीं पड़ता। प्रेम गोपनीय या निजी नहीं रहा। इजहार और अलगाव दोनों की
सूचना फेसबुक पर सबके लिए ओपन है। कोई भी आए, लॉग इन करें और घुस जाए हमारी प्रेम की कहानी में। इस वेलेंटाइन डे पर एक दिन के लिए मोबाइल, ई-मेल, फेसबुक सब बंद कर दीजिए। जिसे आप अपना प्यार कहते हैं, उसके मैसेज, मेल,के बिना कैसा दिन गुजरता है। आपको प्यार की तडप, बेताबी, मिलने की बेकरारी, जुदाई का गम सब महसूस करिए। मशीन को छोड़ कर मनुष्य बनिए। यदि आपके भीतर वाकई तूफान उठता है, आपका दिल उससे मिलने को बेकरार हो जाता है। तो मानिए आप प्यार है। वरना जिसे आप आई लव यू के मैसेज भेज रहे हैं, वो सिर्फ टाईम पास है। जल्दी कीजिए, सच्चा प्यार आपका इंतजार कर रहा है।
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