आज अखबारों में पीडीपी नेता महबूबा की फोटो देखी उन्होने आसंदी का माइक उखाडकर स्पीकर पर फेंका, दूसरी तस्वीर राजस्थान की एक विधायक की है, जिसमें सदन में धक्कामुक्क्ी में उनका हाथ टूट
गयाा अखिल भारतीय जनप्रतिनिधि दंगल के ये सीन देखकर मुझे अपने वोटर होने पर शर्म आई, पर इन बेशर्मो को शरम आती नहीं ा
गयाा अखिल भारतीय जनप्रतिनिधि दंगल के ये सीन देखकर मुझे अपने वोटर होने पर शर्म आई, पर इन बेशर्मो को शरम आती नहीं ा
इस समय मैं एक साथ कई सच का सामना कर रहा हूं, एक तरफ तो टीवी चैनलों पर राखी का स्वयंवर, सच का सामना, इस जंगल से हमे बचाओं और दूसरी तरफ मेरे वोट से बनी सरकार के नुमाइंदों की हरकतों काा जहां राखी का स्वयंवर खालिस झूठ हैं, वहीं सच का सामना अपने सवालों की अश्लीलता के घेरे में हैा जगल के तो कहने ही क्या, पर टीवी वाले मुझे ज्यादा शर्मिंदा नहीं कर रहे हैं न ही मैं उनसे कोई अनुशासन, शिष्टाचार की उम्मीद रखता हूं ा उनका तो काम ही है हाइप क्रिएट करना दर्शक जुटाना, पैसा बनाना ा वे उसे ईमानदारी से कर रहे हैं, मुझे खुशी है उनकी कर्म के प्र ति समर्पण पर ा मुझे शर्मिंदा कर रहा है मेरे ही वोट से चुना गया नेता ा उसके सच से मेरा रोज सामना हो रहा है, मुझे अपने चुने पर सोचना पड रहा हैा
चैनल बदलने का तो मेरे पास रिमोट है, पर जिसे चुन लिया उसे पांच साल तक झेलना पडेगा ा उसे मैं कैसे बदल दूं ा मुझे आज की दो घटनाओं ने शर्मसार किया ा दोनो सदन की है ा पहली में जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीडीपी नेता महबूबा मुफ़ती ने आसंदी से माइक उखाड कर स्पीकर पर फेंक दिया ा उसके बाद उन्होंने इसे सही बताते हुए स्पीकर से माफी मांगने से भी इनकार कर दिया ा दूसरी घटना राजस्थान विधानसभा मे हुई जहां हंगामा इतना बढा कि होम मिनिस्टर का ब्लड प्रेशर बढ गया और सदन में डॉक्टरों को बुलाना पडा ा मार्शल से धक्कामुक्की में विधायक गिर गए तो एक महिला विधायक के हाथ में फ्रेक्चर हो गया ा क्या हमने इन्हें सदन में इसलिए भेजा कि ये हमें इसी तरह से लजाएं, हमने वोट राज्य निर्माण के लिए दिए है, और उसका इस्तेमाल गरिमा के विध्वंस के लिए हो रहा है ा मुझे शर्म आती है इनके चुनाव पर ा ऐसे नेता चुनने के लिए मैं खुद को दोषी मानता हूं, और हर आम आदमी को अपने चयन पर विचार करना चाहिए ा
भारतीय जनप्रतिनिधि दंगल और हिन्दुस्तानी सदन के अखाडे में ऐसी कुश्तियां नई नहीं है, पहले भी उत्तरप्रदेश और बिहार में ऐसी फेंका फाकी होती रही है ा उत्तर प्रदेश में तो ऐसी कोई सदन में नहीं बची जो स्पीकर की तरफ उछाली न गई हो ा बिहार के राज्यपाल को तो राबडीदेवी ने लंगडा तक कह डाला था ा दूसरी तरफ दिल्ली में यही संस्कारों के कर्ताधर्ता सदन में सच का सामना और बालिका वधू जैसे सीरियल बंद करने की आवाज उठा रहे हैं, उनका कहना है ये सीरियल हमारी युवा पीढी पर गलत असर डाल रहे हैं ा क्या इन्हें ऐसे सवाल उठाने का हक है, क्या इनके कर्मो से युवाओं को नैतिकता हासिल हो रही है ा पूरे देश के अखबारों में इनकी हरकतों की तस्वीरें छपी हैं, पर शर्म इन्हें आती नहींा