छोटे परदे पर इस वक्त बड़ा संस्कार (विहीन) सच्चाई का ड्रामा छाया हुआ है। रियलिटी शो और सेलिब्रिटीज की सच्चाईके नाम पर सेक्स, अश्लील संवाद से लेकर शादी, सुहागरात तक का सीधा प्रसारण हो रहा है। छोटे परदे पर बिग बॉस मेंऐसा ही ड्रामा जारी है। पिछले कुछ सालों में भारतीय टेलीविजन में रियलिटी शो के नाम पर क्रार्यक्रमों की बाढ़ आ गई है।टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में चैनल सारी हदें तोड़ रहे हैं। वे यह भी भूल रहे हैं कि वे सीधे ड्राइंग रूम और परिवार के बीचदेखे जाते हैं। बिग बॉस में पिछले सीजन में लडृकियों ने राजू श्रीवास्तव का तौलिया खींंचकर उन्हें निर्वस्त्र कर दिया था, तो इस बार पाक से आई वीना मलिक ने अपना तौलिया खुद सरका दिया। डाली बिंद्रा ने हर शब्द में अश्लीलता का तड़का लगाया।सारा अश्मित, वीना अश्मित तो पूरे समय बॉहों में बॉहें डाले प्रेमपर्व मनाते ही नजर आए। यहां तक भी ठीक था। फिर साराके मंगेतर की एंट्री हुई। बिग बॉस के घर में ही निकाह हुआ। फिर सुहागरात का भी सीधा प्रसारण कर दिया गया। इसे देखकरपरिवार के साथ टीवी देख रहे लोग इधर-उधर झांकने लगे। इधर परिवार शर्मसार हो रहे थे, उधर सारा के पति अली मर्चंेटसीना तानकर कह रहे थे इसमें गलत क्या किया। जो किया शादी के बाद किया। मानो शादी के बाद सारी दीवारें गिराकरसब कुछ खुल्लम खुल्ला करने का लायसेंस मिल जाता हो। खबर है कि बिग बॉस के इस बदनाम घर में अपनी बिंदास अदाओ
ं और खुलेपन के लिए पहचानी जाने वाली पॉमेला एंडरसन आ रही है। ऐसे ही एक रियलिटी शो में मर्यादाओं को ऐसेतार-तार किया गया कि इसमें शामिल झांसी का एक युवक मौत का शिकार हो गया। एनडीटीवी के शो राखी का इंसाफमें इस युवक को राखी ने शो पर नामर्द कहा था। परिजनों के मुताबिक शो के बाद युवक का अपने परिवार, मोहल्ले मेंमुंह दिखाना मुश्किल हो गया था। पिछले दिनों उसकी मौत हो गई। ऐसा नहीं है कि ये दोनों घटनाएं अचानक सीधेप्रसारण में हो गई हो। दोनों ही कार्यक्रम पहले से रिकॉर्डेड होते हैं। बावजूद इसके चैनल के कर्ताधर्ता ऐसे दृश्यों और संवादों पर एडिटिंग की कैंची क्यों नहीं चलाते। वे ऐसा करने या शर्मसार होने के बजाए कई-कई दिनों तक इन दृश्यों और संवादों को प्रचार में इस्तेमाल करते रहते हैं। ऐसे कार्यक्रमों को देखने के बाद ऐसा लगने लगा है कि टीवीके लिए भी सेंसरशिप पर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए क्योंकि इसका दायरा व्यापक है। यह घर-घर तक पहुंचता है।फिल्में तो उन्हीं लोगों तक जाती हैं जो उसे देखने जाते हैं। तकनीकी विकास और आजादी ने अपने साथ प्रतिस्पर्धा औरपरेशानी भी लाई है। एक समय टीवी से ही महाभारत, रामायण, भारत एक खोज, चाणक्यसहित कई क्वीज प्रोग्राम देश भर में लोकप्रिय होते थे। टीआरपी की होड न होने के बावजूद जो दर्शकों का सम्मानमहाभारत, रामायण को मिला वो तमाम हथकड़ों के बावजूद आजतक कोई भी कार्यक्रम नहीं छु सका। जरूरत हैछोटे परदे के बिगड़ते रूप पर बड़ी बहस की।
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