जिद कुछ कर दिखाने की

जिद कुछ कर दिखाने की

Saturday, January 1, 2011

भूलना मना है


मैं एक बार कमिटमेंट कर देता हूं तो फिर अपने आप की भी नहीं सुनता। आपका मन जब भी संकल्प से पीछे हटे, तब इस संवाद को दिल से बोलिए...

भूलना मना है
एक और नया साल। एक और नई सुबह। रातभर जश्न, सुबह हैप्पी न्यू ईयर। दोपहर तक तमाम संकल्प। इस बार मैं सिगरेट छोड दूंगा, तुम शराब छोड़ दो, हम डटकर पढ़ेंगे, मैं अपना वजन कम कर लूंगी, हम आपस में नहीं लड़ेंगे, बचत करेंगे, फ्लर्ट नहीं करूंगा/करूंगी आदि इत्यादि जैसी लंबी लिस्ट। सब संकल्प ले रहे हैं। वादे करते हैं। पर एक जनवरी की शाम आते-आते याद का परदा सरकने लगता है। अपने संकल्प का कायाकल्प करने लगते हैं। मैंने सिर्फ सिगरेट छोडऩे का कहा था, सिगरेट शराब दोनों नहीं।
और एक सप्ताह बीतते-बीतते फिर वही कहानी। न कुछ छूटा न कुछ बदला। लंदन में एक रिसर्च ने भी इसे साबित किया है कि सत्तर फीसदी से ज्यादा लोग अपने न्यू ईयर रिजाल्यूशन यानी संकल्प सात दिन में भूल जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनमें बदलाव की तड़प ना होना है। साथ ही वे इस बदलाव के लिए अकेले जुझते रहते हैं। वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों की मदद नहीं लेते। जरूरत है करीबियों की मदद लें, देखिए आपके सारे संकल्प पूरे होंगे। वैसे भी यह साल तो ग्यारह अंक का है। ग्यारह यानी एक और एक यानी सहयोग का साल। ग्यारह वो अंक है जिसे हमेशा से शुभ माना गया है। पंडित को दक्षिणा देनी हो, या दान, भगवान को लड्डू चढ़ाना हो या दुर्वा सब ग्यारह हो तो क्या बात है। मंत्रों का जाप भी एक और एक से ही बढ़ता है। ग्यारह, एक सौ एक एक हजार एक, एक लाख एक और जितना चाहो पर एक और एक जरूर होगा। भारत के लिए खेल में भी अभी ग्यारह का जलवा है। सही समझे क्रिकेट में ग्यारह खिलाड़ी और इसी खेल में भारत है दुनिया का नंबर वन । हिंदू व्रत में सबसे फलदायी व्रत एकादशी। हां, धर्मग्रंथों में जरूर दस दिशाओं का जिक्र है। पर हम सफल तभी होंगे जब इसमें एक हमारी अपनी बनाई दिशा भी जुड़े। दस बीत चुका है, ग्यारह में संकल्प करें कि आप कुछ नहीं भूलेंगे। सारे संकल्प निबाहेंगे। सारी बुरी आदतों को नौ दो ग्यारह कहेंगे। वरना फिर वही कहानी। इस बार ठान लीजिए जो संकल्प लिया है, उसे नहीं छोड़ेंगे। सबसे पहले संकल्प लीजिए कि अब मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा। फिर भी याद नहीं रहता हो तो सलमान का वह डॉयलाग याद कर लीजिए - मैं एक बार कमिटमेंट कर देता हूं तो फिर अपने आप की भी नहीं सुनता। आपका मन जब भी संकल्प से पीछे हटे तब इस संवाद को दिल से बोलिए।

No comments: