जिद कुछ कर दिखाने की
जिद कुछ कर दिखाने की
Friday, December 2, 2011
तो थप्पड़ो का सिलसिला शुरू हो जाएगा
पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्री शरद पवार को एक युवक ने थप्पड़ जड़ दिया। कारण। उसने कहा कि मंहगाई बढ़ रही है और ये (मंत्री महोदय) जवाब देने को भी तैयार नहीं। हर सवाल पर जवाब एक ही -मुझे नहीं पता। शरद पवार ने पहली बार महंगाई के मुद्दे पर पल्ला नहीं झाड़ा है। इसके पहले भी कई मौकों पर वे महंगाई का मजाक उड़ा चुके हैं। कभी कहा मैं भगवान नहीं हूं , कभी बोले इसे कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं, कभी उछलकर बोल पड़े लोग ज्यादा खा रहे हैं इसलिए महंगाई बढ़ रही है। एक आम हिंदुस्तानी जो सुबह शाम दो सूखी रोटी की जुगाड़ क े लिए परेशान है, उसे अपने नेता ऐसे जवाब देंगे तो क्या होगा? थप्पड़ मारना सहीं नहीं है, पर आम आदमी की बेबसी का मजाक उड़ाना, उसके दर्द को अंतरराष्टï्रीय बाजार के भरोसे छोड़ देना। उसें रोटी मिल सके इसकी व्यवस्था करने के बजाए उसे मुद्रा स्फीती, महंगाई दर, आर्थिक व़द्घि की खबरें दिखाना। मंच पर चढ़कर सरकारी आंकड़े दिखाना, भूख से मरते आदमी के सामने अकड़ से खड़े होकर देश की सम़द्घि, वैभव के गुण गाना ऐसे ही कई और थप्पड़ पैदा करेे तो बड़ी बात नहीं।
इस सरकार के अलावा विपक्ष में बैठे राष्टï्रीय नेता भी केवल अपने एसी कमरों में बैठकर चिंता जताते हैं। नमक लगे काजू, बादाम के शर्बत के साथ महंगाई पर चिंतन करते हैं और बाहर आकर कहते हैं- आम आदमी ज्यादा खाने लगा है इसलिए महंगाई बढ़ रही है। ये मजाक नहीं तो क्या है। सरकार खुद को करोड़ो के घोटाले को बढ़ावा दे रही है, केंद्र में सत्ता के खिलाफ अभियान उठाने वाला विपक्ष अपने सत्ता वाले राज्यों में भ्रष्टïाचार की खदाने खोलकर बैठा है। यात्राओं के नाम पर राजनीति और गरीबों का दर्द बांटने का ड्रामा हो रहा है। गरीबों, दलितों के हित की बात करने वाली बसपा हाथी, पार्क, अपनी पार्टी की संभाओं के बड़े तंबू लगवाने में पैसा फूंक रही है। जबकि उनके राज्य में दलित रोटी को तरस रहे हैं। गाजियाबाद और आगरा में विवाह समारोह में रोटी खाने को घुसे किशोरों को भीड़ ने पीट पीटकर मार डाला। ये है बहुजन की जीत। भाजपा शासित राज्यों में खदानों से पैसा उलीचा जा रहा है, लोकायुक्त की नाक के नीचे मंत्री अपराध कर रहे है। कांग्रेस शासित राज्यों में सीड़ी सामने आ रही है तो कहीं मंत्री शहीदों का पैसा खा रहे हैं। अन्ना के आंदोलन की भी चमक ठंडी पड़ गई है। उनके सिपाहसालार भी जनता को ही लूट रहे हैं। ऐसे में पवार को पड़ा थप्पड़ नेताओं की पूरी कौम के लिए एक अलर्ट है। संभलिए, देश सत्तर के दशक की तरह फिर गुस्से में हैं। ऐसे थप्पड़ृों की बौछार हर गली मोहल्ले में दिखाई दे सकती है। जल्दी ही सरकार और नेता नहीं सुधरे तो इस देश का हर आदमी एंग्री यंगमैन बन जाएगा और हर नेता के गाल पर एक थप्पड़ होगा।
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1 comment:
bahut badhiya hai bhaiya . nanga sach hai.
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