जिद कुछ कर दिखाने की

जिद कुछ कर दिखाने की

Wednesday, January 16, 2008

विजय माल्या के बैलून से गट्टू के सैलून तक

इस साल हिंदी पत्रकारिता में बडा बदलाव आने वाला है। सेंसेक्स की तरह हिंदी मीडिया भी उछाल पर है। २००७ में भी दैनिक जागरण अमर उजाला राजस्थान पत्रिका दैनिक भास्कर ने नए काम किए। सभी अखबारों ने अपने मूल अखबार के अलावा कुछ नए पुलआउट टेबलायड या यूथ को टारगेट करते हुए नए दैनिक शुरु किए। पत्रिका ने डेली न्यूज तो जागरण ने आई नेक्सट और अमर उजाला ने कॉम्पेक्ट पबि्लश किया।

यह साल बिजनेस अखबारॊं के नाम रहेगा। इकानामिक टाइम्स बिजनेस स्टेंडर्ड और जागरण भी सीएनबीसी के साथ मिलकर हिंदी में बिजनेस अखबार ला रहे हैं। यह शुभ संकेत है। पत्रकारों आम पाठक और हिंदी भाषी जनता के लिए। इंगि्लश पत्रकारों की बिरादरी में अब हिंदी की अनदेखी नहीं की जा सकेगी। जब बडे समूह हिंदी में पैसा लगा रहे हैं इसका मतलब हिंदी मीडिया में अभी धंधे की बडी गुंजाइश है। कुछ समय पहले एक बडे चैनल के एडिटर इन चीफ ने मंच से कहा था कि हिंदी मीडिया का कोई भविष्य नहीं है। वहां बेहद घटिया खबरें रहती है। जबकि ये साहब खुद अपने समूह का एक हिंदी चैनल भी चला रहे हैं एक बडे हिंदी अखबार के भी चीफ बने हुए है।

खैर छोडिए बिजनेस के ये तीन बडे हिंदी अखबार बाजार की इकानामी और हिंदी की साख दोनों को जान जाएंगे। ऎसा नहीं है कि देश में पहली बार हिंदी में कोई बिजनेस अखबार आ रहा है । इससे पहले भी अमर उजाला कारोबार और नइदुनिया के भावताव ने कोशिश की। पर ये दोनो अखबार ऐसे समय निकाले गए जब आम हिंदी पाठक उदारीकरण को तबाही से जोडकर देखा रहा था। उसके लिए नए तरह के कारोबार विदेशी कंपिनयां एक दानव थी जो सब पैसा खा जाएगी।

निसंदेह दोनो अखबार समूह नई सोच के लिए जाने जाते हैं बिजनेस अखबार भी इसी सोच का एक अंग था। याद कीजिए वेबदुनिया का हिंदी पोर्टल जब शुरु हुआ हिंदी के धुरंधरों ने उसे नकार दिया। आज उसकी हैसियत देखिए भावताव और काराबार जितनी तेजी से समेटे गए वो निशिचत गलत रहा। कुछ दिन और चलते तो आज माहौल कुछ अलग दिखता आज आम आदमी शेयर बाजार की तेजी मंदी समझ रहा है देख रहा है पैसा लगा रहा है इस बदलाव के पीछे बडा हाथ सीएनबीसी आवाज चैनल का भी है । मैं जिस सेलून में जाता हूं वहां का मालिक मामूली पढा लिखा आदमी है । पर दुकान पर लोगों के चेहरे चमकाते चमकाते आवाज चैनल पर बाजार के उतार चढाव समझता गया ऒर पिछले एक साल में वह अपनी दुनिया चमका चुका है । दुकान चमकी गाडी पैसा ऒर रोज वह बडे दांव लगा रहा है।

आम आदमी की यह बदलती दुनिया में कई सेलून और छोटे दुकानदार बडे कहे जाने वाले शेयर के कारोबार की बारीकी समझ रहे हैं। हिंदी बिजनेस अखबारों का आना जानकारी बढाने के साथ साथ धोखे से भी बचाएगा अभी कई पढे लिखे लोगों से भी धंधेबाज धोखा कर रहे हैं । यह डीमेट एकाउंट की फीस से लेकर शेयर दलाली तक में है । हिंदी अखबार अपने मार्केट के साथा देश की इकानामी में भी बडा बदलाव लाएंगे । वे अपने लाभ के साथ साथ आम आदमी यानी गट्टू को भी बडा कारोबारी बनाएंगे।

अब तक गट़टू ने सिर्फ घर और दुकान की बाहरी दीवार पर ही कुंकुम से शुभ लाभ लिखा और देखा। अब यह सब उसके घर की बाहरी दीवारों पूजाघर ऒर दुकान के पटिए से निकालकर उसकी जेब पर भी लाभ का शुभ गणित बैठाएंगे। कई गट्टू इंतजार में हैं मौका तो दो। वे भी बैलून में उडेंगे बस देखते रहिए।

4 comments:

अनिल पाण्डेय said...

एकदम सही बात है। जो लोग यह मानते हैं कि बिजनेस का हिंदी अखबार नहीं चल सकता उन्हे एक बार फिर सोचना होगा। रिलायंस पावर के शेअर की खरीददारी देखकर तो समझना चाहिए कि आम आदमी की रुचि इस क्षेत्र में बढ़ रही है। हिंदी में सूचना न होने के कारण वह अखबारों के आधे-अधूरे कॉरपोरेट पेज पर या फिर वरबल कम्युनिकेशन पर निर्भर है। अगर उस पाठक वर्ग को हिंदी में जानकारी मिलेगी तो निश्चित रूप से अखबार सफल होगा।

राजीव जैन said...

उम्‍मीद कीजिए की
हिंदी के बिजनेस अखबार
रिलायंस की रफ़तार से बढें


आमीन

Ashish Maharishi said...

देश में जब अमर उजाला कारोबार समाचार पत्र शुरु हुआ था तो उस वक्‍त उसे अनुकूल माहौल नहीं मिल पाया था लेकिन स्थिति आज बदल रही है, बस स्‍वागत करने के लिए तैयार हो जाइए,
आशीष महर्षि

शिवेश श्रीवास्तव said...

pankaj ji aapne sahi kaha lekin is bhedchal main hamari poori patrakar biradri to shamil hai ho hum bhi to eak doosre se prtispardha kar eak doosre ko dhakel rahian haiin agar eak peshe se joude logon main ekta ho aur be eak doosre ka khayal rakhe dukh sukh main saath de to patrakar ki market value khatam nahi hoti kyonki woh kalam ka pujari hota hao.
shivvani.blogspot.com